हरदा एसडीएम शानू ने आंख मीचकर तहसीलदार द्वारा दिये भूमाफिया कृष्णमुरारी के फर्जी प्रतिवेदन पर किये हस्ताक्षर।
भूमाफिया कृष्णमुरारी को तहसीलदार और एसडीएम का सरंक्षण, अब गेंद कलेक्टर के पाले में..

कपिल शर्मा, हरदा एक्सप्रेस…
तहसीलदार लवीना घाघरे द्वारा तैयार किया गया फर्जी प्रतिवेदन पर हरदा एसडीएम शानू ने आंख मीचकर हस्ताक्षर कर कलेक्टर के पाले में सरकारी जमीन बेचने का मामला डाल दिया हैं। सरकारी जमीन बेचने वाले भू माफिया कृष्णमुरारी अग्रवाल के साथ सांठगांठ कर एक फर्जी प्रतिवेदन बनाकर एसडीएम को सौंप दिया था। इस प्रतिवेदन को पढ़ने तक की जहमत एसडीएम शानू ने नहीं उठाई और हस्ताक्षर कर दिये। ऐसा लगता है मानों राजस्व न्यायालय में अंधेर नगरी चौपट राजा वाला खेल चल रहा हैं।
यह तो हद हो गई…
शिकायत सिर्फ खसरा नंबर 10/3 की थी। तहसीलदार लवीना ने कला का प्रदर्शन किया और 10/3 तथा 21/1 की जमीन का रकबा तैयार किया। ताकी भू माफिया कृष्णमुरारी को बचाया जा सकें। लेकिन हद तो तब हो गई जब एसडीएम ने उस प्रतिवेदन में अपनी कला बताई और खसरा नंबर 10/1 तथा 21/1 का रकबा 31755 वर्गफुट कर दिया। जबकि तहसीलदार के प्रतिवेदन में साफ लिखा है कि खसरा नंबर 10/1 सरकारी रकबा हैं। आंख मीचकर एसडीएम भी हस्ताक्षर करने से नहीं चूक रहे हैं।
कलेक्टर के पाले में पहुंचा मामला
एसडीएम ने जैसे तैसे अपनी माथे की मतबार उतार कर कलेक्टर के पाले में सरकारी जमीन बेचने के मामले को फेंक दिया। हांलाकि यह खेल पिछले 2 सालों से चल रहा हैं। विभाग – विभाग खेला जा रहा हैं। अब देखना यह है, कि क्या कलेक्टर सही निर्णय लेकर खसरा नंबर 10/3 की कुल भूमि पर कोई निर्णय सुनायेंगे या फिर………
10/3 का नक्शा नहीं तो जांच कैसे हुई
तहसीलदार न्यायालय में चले प्रकरण में भूमाफिया ने इस बात को स्वीकार किया है, कि खसरा नंबर 10/3 का नक्शा नहीं हैं। अब सवाल यह उठता है, कि जब नक्शा ही नहीं है तो तहसीलदार को कैसे पता की 10/3 की भूमि कितनी है? सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सांठगांठ तगड़ी है जिसके कारण यह फर्जी प्रतिवेदन तैयार किया गया हैं।